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Surya Grahan 2022: दीपावली पर लगा सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, दीपावली और पूजा का समय बदला,अब इस दिन होगी दीपावली, इस जगह दिखेगा सूर्य ग्रहण

Surya Grahan 2022: दीपावली पर लगा सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, दीपावली और पूजा का समय बदला,अब इस दिन होगी दीपावली, इस जगह दिखेगा सूर्य ग्रहण, यहां देखें सही टाइम- इस साल का सबसे लास्ट सूर्य ग्रहण दीपावली के अगले दिन पड़ रहा है। यह सभी लोग जानते हैं। लेकिन ऐसे बहुत सारे यूजर हैं जिनको कुछ गलतफहमियां हो रही है और उनको यह पता नहीं है कि कब दीपावली मनाई जाएगी और कब सूर्य ग्रहण होगा और कब दीपावली के पूजा की जाएगी। लेकिन आपको बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम इसलिए के माध्यम से संपूर्ण समय तिथि विस्तार रूप से बता रहे हैं जिसको अगर आप फॉलो करते हैं तो आपको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी और दीपावली आप खुशी से मना पाओगे। इस वर्ष दीपावली पर 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले ही लग जाएगा। और सूर्य ग्रहण सूतक लगने के बाद पूजा आदि का कार्य नहीं किया जाता है।  और दीपावली पर पूजा का टाइम अगर सही समय पर हो तो वह अर्चना पित्र कार्यक्रम के लिए सबसे बेस्ट समय होता है।

  

Surya Grahan 2022
Surya Grahan 2022

Surya Grahan 2022 Date Time In India

आप सभी को बता दें कि इस बार दिवाली का त्यौहार 24 अक्टूबर 2022 को पड़ रहा है। लेकिन इस बीच इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी दीपावली के अगले दिन ही 25 अक्टूबर को होगा, शास्त्रों की मानें तो सूर्य ग्रहण का सूतक सूर्य ग्रहण होने से 12 घंटे पहले ही लग जाता है।  सूर्य ग्रहण विशेष तौर पर कष्ट दाई ग्रहण माना जाता है। लेकिन यह समय यह विशेष तौर पर पूजा तर्पण, पित्र कार्य, तंत्र कर्म के लिए सबसे फलदाई कार्य माना जाता है। इसीलिए ग्रैंड शुरू होने पर स्नान करके जब अवश्य करें, और जब ग्रहण संपन्न हो जाए तब दान पुण्य अवश्य करें।  क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको धन की प्राप्ति भी हो सकती है।  और दान पुण्य करने से सूर्यग्रहण के मध्य का कष्ट आपको प्राप्त नहीं होता है।

Surya Grahan 2022  इस टाइम शुरू होगा और इस टाइम समाप्त होगा

भारत में सूर्य ग्रहण दिन में 2:29 से शुरू हो जाएगा और लगभग 4 घंटे 3 मिनट तक सूर्य ग्रहण चलेगा। इस साल का लास्ट सूर्य ग्रहण सूर्य अस्त होने के बाद भी चलता रहेगा यानी सूर्य ग्रहण की समाप्ति 6:32 पर होगी।  25 अक्टूबर 2022 को होने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव पूरे भारत में सभी लोगों के ऊपर यह विशेष तौर से पड़ने वाला है।   सूर्य ग्रहण का शुरू होना भोम मासी अमावस्या पर पड़ रहा है। कुछ विधान तू द्वारा ऐसा भी माना गया है कि उस दिन राज  भंग कराने का कार्य नहीं हो सकता है। इस ग्रहण के बाद युद्ध भड़कने का कार्य भी हो सकता है।  और खुद  सिद्धांतों ज्योतिष द्वारा यह भी माना गया है कि इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव से कहीं दंगे हो गए कहीं रोग की वर्दी देखने को मिल सकती है।

इस टाइम लगेगा सूतक

25 अक्टूबर को होने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा।  यानी सूर्य ग्रहण का सूतक 24 अक्टूबर से ही शुरू हो जाएगा। और सूतक के समय है मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं यह आप सभी जानते हैं।

सूर्य ग्रहण के दिन क्या करें और क्या न करें

यह कार्य न करें

  • सूर्य ग्रहण के दिन तुलसी के पौधे को बिल्कुल ना छुए।
  • सूर्य ग्रहण के दिन खेती का प्रयोग ना करें, फूलों का तोड़ना गलत है, बालों और कपड़ों को सांप ने करें, दांतों में ब्रश ना करें, गाय, भैंस वह बकरी का दोहन ना करें।
  • खाना बिल्कुल ना खाएं।
  •  संभोग ना करें।
  •  झगड़ा ना करें।
  •  यात्रा ना करें।
  •  उधार ना दे।
  • गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना है।

यह कार्य अवश्य करें

  • ग्रहण काल के समय सभी व्यक्ति अपने घरों में धूप अगरबत्ती जलाकर रखें।
  • सभी व्यक्ति खाने पीने की चीजों में ग्रहण काल से पहले तुलसी के पौधे के पत्ते को डाल देंv
  •  प्रभु का ध्यान जपते रहें।
  •  किसी गरीब को दान दे।  ऐसा काम आप ग्रहण काल खत्म होने के बाद भी कर सकते हैं।
  •  घर से बाहर बिल्कुल ना जाए।

दीपावली का सही मुहूर्त कब से कब तक है

इस वर्ष दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को पड़ रहा है और कार्तिक मास की अमावस्या 24 और 25 अक्टूबर को पड़ रही है। लेकिन इस बार 25 अक्टूबर को ग्रहण काल लगने जा रहा है जो साल का अंतिम सूर्य ग्रहण है।  वही 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि होगी।  इसीलिए इस वर्ष 24 अक्टूबर को देश में दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा। दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें। इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें। फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें।

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